सीधा जहर खाने से व्यक्ति मरता हे लेकिन कान में दिया जहर से पीढ़िया मर जाती - संत श्री पं. कमलकिशोर जी नागर








*भागवत कथा में सुनने के लिए उमड़ा जनसैलाब , दुसरे दिन ही पांडाल छोटा पड़ा *





सुवासरा (नि.प्र.) हिंदुस्तान में जन्मा व्यक्ति खाली बारदान के समान होता है जहां मनुष्य तो खाली आता है किंतु यहां संतो के द्वारा उस मनुष्य में ज्ञान भरा जाता है और जहां ज्ञान आ जाता है वही आदमी को संतों का वरदान मिल जाता है और संतों का जो वरदान मिल जाता है वही स्वाभिमान से जीना सीख जाता है जहां त्याग, तपस्या से लोग बलिदान देते थे हैं जहां परिधान का देश है भारत में जन्मे व्यक्ति संस्कारी होता है मां-बाप को पूछता है उसमें मानवता रहती है उपरोक्त सारगर्भित प्रवचन मालव माटी के प्रसिद्ध संत पं. श्री कमलकिशोर जी नागर ने सुवासरा में आयोजित श्रीमद भागवत ज्ञान गंगा यज्ञ के दुसरे दिवस में कही श्री नागर ने आगे कहा हिंदुस्तान राम का देश है जहां राम त्याग तपस्या राजपाट छोड़कर वनवास चले गए केवल पिता के वचन के कारण ऐसा विदेशों में नहीं होता है किंतु दुख तो इस बात का होता है कि यहां के सफेद कपड़े पहने वाले लोग विदेश जाते हैं और विदेश से लौटने के बाद कहते हैं कि विदेश में जो मजा है वह हिंदुस्तान में नहीं है किंतु वह सरकारी पैसे से घूमने वाले व्यक्ति को क्या पता कि जो हिंदुस्तान में मजा है विदेशों में नहीं है विदेशी लोगों को तो रोना के तरीका भी याद नहीं है वह हंसने का तरीका भी याद नहीं है।





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यहां हिंदुस्तान कि जब औरतें रोती है तो आंसू निकलते हैं विदेशी लोगों के आंसू नहीं निकलते हैं जा मंदोदरी रोई थी तो उसका दुखड़ा सुनने भगवान आए थे और यही कारण है कि काली आंखों से रोया हुआ तो आंसू निकलते हैं सफेद आंखें वाले के आंसू नहीं निकलते हैं बरसात भी होती है तो काली बादल से होती है सफेद बादलों से बरसात नहीं होती है पंडित श्री कमलकिशोर जी नागर ने कडवा वचन कहते हुए कहा कि 9 माह तक पेट में माँ पालती है उसको जन्म देती है और जन्म देने के बाद उसको उस मां के आंचल से दूध पिलाती है और उस दूध के दांत आते ही सबसे पहले बच्चा मां का दूध के दांत से मां को काटता है तो इस बात को भी जान लेना चाहिए कि जो बच्चा मां का ना हुआ वह माँ को भी दुःख देता हे यह लोगो को समझ लेना चाहिए ।





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श्री नागर ने आगे कहां कि व्यक्ति सीधा जहर खाने से व्यक्ति मरता हे लेकिन कान में दिया जहर से पीढ़िया मर जाती है वह जन्म जन्म की दुश्मनी पाल लेता है जहां लोग संतों की अच्छी बातें भूल जाते हैं किंतु कुछ लोगों की बुरी बातें मरते दम तक याद रखते हैं जबकि बुरी बातों में याद नहीं रखना चाहिए ,वह कहता है कि मैं तेरी यह बुरी बात तो जीवन भर याद रखूंगा मरने तक लेकिन अच्छी बात तो तत्काल भूल जाता है व्यक्ति को एक बार सप्ताह में एक दिन गरीब बनकर जीने का एहसास भी करना चाहिए गरीब सुदामा से द्वारकाधीश ने भी माँगा था और सुदामा से सूखे चावल मांगकर गरीबी का एहसास किया था , कभी सूखा रुखा भी खाना चाहिए कभी मुझे गरीब गरीब बनने का मौका मिले तो मैं गरीबी में कैसे रह सकता हूं उसका एहसास अभी ही कर लेना चाहिए जिससे जीवन में दुःख आवे तो उसे सहन करने की सामार्थ पैदा हो जाए , श्री नागर ने आगे कहा की कथा सुनने से भजन का स्वभाव बनेगा और भजन भगवान् से मिलाएगा, श्री भागवत कथा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु गणों ने कथा का श्रवण किया और आज पांडाल ही छोटा पड़ गया।





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