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इंदौर लेबड-जावरा और जावरा-नयागांव फोरलेन पर लागत से कई गुना ज्यादा टोल संग्रह होने पर पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने माननीय उच्च न्यायालय , इन्दौर में पिटीशन क्रमांक 6312/2022 दायर कर , मांग की कि इन दोनों मार्ग पर टोल संग्रह बंद किया जाए ।
माननीय उच्च न्यायालय में सकलेचा ने कहा की
लेबड - जावरा रोड की लागत ₹ 605 करोड़ है । 31 जनवरी 2021 तक उस पर ₹1315 करोड़ याने लागत का 217% टोल वसूला जा चुका है ।

इसी प्रकार जावरा नयागांव फोरलेन जो ₹450 करोड़ में बनी थी उस पर 31 जनवरी 2021 तक ₹1461 करोड़ याने लागत का 324% संग्रह चुका है ।
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जबकि डीपीआर में जिस आधार पर अवधि 25 वर्ष याने 2033 तय की गई थी , उसमे इस अवधि तक लागत का 80% संग्रह ही दिखाया गया था । उससे क्रमश तीन तथा चार गुना टोल वसूला जा चुका है ।

सकलेचा ने अपनी पिटीशन में कहा कि शासन ट्रस्टी के रूप में भूमि का उपयोग जनता की भलाई के लिए कर सकता है , लेकिन वह कुछ व्यक्तियों को अनावश्यक लाभ पहुचाने के लिए भूमि का उपयोग नहीं कर सकता । संविधान के अनुसार कल्याणकारी राज्य में प्राकृतिक संसाधन जनता की संपत्ति है , और उसका उपयोग शासन की रेवेन्यू बढ़ाने के लिए और निजी व्यक्तियों को लाभ पहुंचाने के लिए नहीं किया जा सकता है ।
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इंडियन टोल एक्ट 1851 के सेक्शन 2 के बारे में विभिन्न उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में स्पष्ट कहा है कि , शासन को रोड और ब्रीज पर टोल लगाने का असीमित अधिकार नहीं है । उसके निर्माण में लगी राशि , उसका प्रबंधन , तथा उसके ऊपर होने वाला ब्याज खर्च , इतना वसूल करने का अधिकार है । शासन अपने अधिकार का असीमित उपयोग कर , जनता से अनावश्यक वसूली कर , किसी व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने का कार्य नहीं कर सकता है ।
सकलेचा ने माननीय उच्च न्यायालय से कहा कि उक्त दोनों फोरलेन पर लागत से 250% से 350% टोल मात्र 11 साल में वसुल हो चुका है । और अगर पूरी अवधि 2033 तक टोल वसूली होती रहे तो दोनों रोड पर क्रमशः ₹ 3800 करोड़ तथा ₹ 4600 करोड़ राशि की वसुली होगी ।
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सकलेचा ने माननीय उच्च न्यायालय से अनुरोध किया कि
दोनों मार्ग पर टोल वसूली बंद की जाए ।
सकलेचा की पिटीशन पर 23 मार्च को माननीय हाईकोर्ट में एडमिशन हेतु सुनवाई होना थी , लेकिन क्रम ना आने से अब यह सुनवाई 30 मार्च को होगी ।