Budget 2022:- बजट 2022 से मध्यप्रदेश को हे ये उम्मीदे,बड़े केन्द्रीय करो मे हिस्सा..?


Budget 2022: भोपाल (राज्य ब्यूरो)। मंगलवार को प्रस्तुत होने वाले केंद्रीय बजट से मध्य प्रदेश सरकार को बड़ी उम्मीदें हैं। आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के प्रयास जारी रखने के लिए केंद्रीय करों में हिस्सा बढ़ाए जाने की उम्मीद है। मध्य प्रदेश सरकार ने 15वें वित्त आयोग के साथ बैठक में भी यह मांग रखी थी कि राज्य को केंद्रीय करों में अधिक राशि दी जाए। जुलाई 2022 से जीएसटी क्षतिपूर्ति मिलना बंद हो जाएगा तो इसकी भरपाई भी किसी न किसी माध्यम से केंद्र सरकार द्वारा की जाए। राज्य के सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात में ऋण लेने की छूट पांच प्रतिशत तक मिले। साथ ही अधोसंरचना विकास की परियोजनाओं के लिए आवश्यक राशि मुहैया कराई जाए।





Budget 2022 India.<br/>Www.timesofmadhyapradesh.com
























कोरोना महामारी की वजह से प्रभावित अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर आ रही है लेकिन इसे और गति देने के लिए केंद्रीय बजट से सरकार को काफी उम्मीदें हैं। जीएसटी क्षतिपूर्ति के करीब आठ हजार करोड़ रुपये अभी मिलना बाकी है। यह राशि जल्द उपलब्ध होने की उम्मीद है। राज्य सरकार की मांग रही है कि जीएसटी क्षतिपूर्ति बंद होने के बाद प्रदेश को जो क्षति होगी, उसकी भरपाई के लिए केंद्रीय करों में हिस्सा बढ़ाया जाए। वित्तीय वर्ष 2021-22 में केंद्रीय करों से 43 हजार करोड़ रुपये का प्रविधान मध्य प्रदेश के लिए किया गया है।











कोरोना महामारी के बावजूद प्रदेश ने अधोसंरचना विकास के कामों पर सर्वाधिक ध्यान दिया और पूंजीगत व्यय 40 हजार करोड़ रुपये से अधिक रहा। इसके लिए केंद्र सरकार ने करीब पांच हजार करोड़ रुपये प्रोत्साहन स्वरूप दिए हैं, यह व्यवस्था आगे भी जारी रखी जाए। नगरीय क्षेत्रों में संचालित केंद्र सरकार की योजनाओं में अंशदान और बढ़े ताकि विकास का पहिया तेजी से घूमे। स्वनिधि योजना में मध्य प्रदेश का प्रदर्शन देश में सबसे बेहतर रहा है। इसे भी जारी रखा जाए ताकि जो प्रकरण लंबित हैं उनके भी ऋण स्वीकृत हो जाएं। कोरोना काल में यह योजना काफी कारगर साबित हुई है।पिछले बजट में राज्य को सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात में एक प्रतिशत अधिक ऋण लेने की छूट दी गई थी। इसे बढ़ाकर दो प्रतिशत किया जाए ताकि आत्म निर्भर भारत के लिए आत्म निर्भर मध्य प्रदेश के रोडमैप पर तेजी के साथ काम किया जा सके।











उपार्जन की लंबित राशि का हो भुगतान





मध्य प्रदेश सरकार विकेंद्रीकृत प्रणाली के तहत न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं, धान, चना, मूंग, सरसों सहित अन्य उपज का उपार्जन करती है। इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक से साख सीमा स्वीकृत कराई जाती है। इससे किसानों का भुगतान तो तत्काल हो जाता है पर खरीद करने वाली एजेंसियों को केंद्र सरकार से राशि काफी समय बाद मिलती है। अभी नागरिक आपूर्ति निगम और राज्य सहकारी विपणन संघ के ऊपर 70 हजार करोड़ रुपये से अधिक का ऋण है। खाद्य, नागरिक आपूर्ति विभाग को उम्मीद है कि बजट में इसके लिए कुछ प्रविधान किया जा सकता है।लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव का कहना है कि अधोसंरचना विकास की परियोजना बड़े पैमाने पर रोजगार उपलब्ध कराती हैं। इसके लिए अधिक राशि का प्रविधान होगा। औद्योगिक क्षेत्र में विकास के लिए जो कारिडोर प्रस्तावित हैं, उन पर तेजी से काम हो और खाद्य प्रसंस्करण के लिए अधिक प्रविधान होंगे। जैविक खेती के लिए मिले अधिक राशि कृषि मंत्री कमल पटेल का कहना है कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए जैविक खेती को बढ़ावा देने होगा।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मंशा भी यही है। इसके लिए बजट में अधिक राशि का प्रविधान होना चाहिए। इसका सीधा लाभ मध्य प्रदेश को होगा। कृषि अधोसंरचना निधि। के माध्यम से गांवों में कृषि आधारित उद्योग लगने प्रारंभ हो गए हैं। इसे भी जारी रखा जाना चाहिए ताकि आर्थिक विकास को और गति मिले।






Previous Post Next Post