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भोपाल:- सरकार द्वारा शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) रोकने के लिए सैकड़ों योजनाओं पर प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग एवं एनआरएचएम पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी प्रदेश में बीते वर्ष शिशु मृत्यु दर में बढ़ोतरी देखने को मिली है। वर्ष 2021-22 में प्रदेश में 25987 बच्चों की मौतें हुई हैं जिस में सर्वाधिक मौतें निमोनिया से होना पाया गया है गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग कार्यक्रम की समीक्षा बैठक में आंकड़े आए सामने जो सबको हैरान करने वाले हैं इससे पहले वर्ष 2020-21 में 9559 ही था।
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शिशु मृत्यु दर में बढ़ोतरी पर सरकार को सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है शासकीय अस्पतालों की लापरवाही के कारण बड़ी हैं शिशु मृत्यु दर क्योंकि चिंताजनक बात यह है कि बच्चों को डायरिया से बचाने वाली साधारण ओआरएस जिंक जैसी दवाओं के स्टाफ भी कई जिलों में शून्य है। वही बच्चों को निमोनिया के दौरान दिए जाने वाले इंजेक्शन जेंटामाइसिन एवं अमोक्सिसिलिन सिरप की भी शॉर्टेज है।

एनआरएचएम की समीक्षा बैठक में यह बात भी सामने आई की
बालाघाट, सिवनी ,खंडवा, खरगोन, रीवा जैसे जिलों में ओआरएस की कमी पाई गई तो प्रदेश के अन्य 14 जिले जिसमें मंदसौर भी शामिल है उसमें जेंटामाइसिन इंजेक्शन की कमी देखने को मिली।।
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