भविष्य की डगर- इंदौर ट्रैफिक का मास्टर प्लान बनेगा 25 साल के लिए. ।


इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। जिन शहरों के लिए 2017 के बाद केंद्र सरकार ने मेट्रो प्रोजेक्ट स्वीकृत किए है। उनके लिए उस शहर की काम्प्रहेंसिव ट्रैफिक मोबिलिटी प्लान (व्यापक यातायात गतिशील योजना) भी अनिवार्य कर दिया है। शहर में मेट्रो प्रोजेक्ट के साथ अब इस प्लान के लिए सर्वे भी शुरू होगा। अगले दो माह तक चलने वाले इस सर्वे के आधार पर अगले 25 वर्षों के लिए शहर के ट्रैफिक का मास्टर प्लान तैयार होगा। प्लान के तहत भविष्य में शहर में बढ़ने वाले ट्रैफिक के दबाव का आंकलन, सड़कों के चौड़ीकरण, नई मार्ग सहित अन्य बिंदुओं पर सर्वे होगा। इसके लिए बुधवार को एक बैठक भी हो गई। दो दिन बाद अर्बन मास ट्रांसपोर्ट कंपनी का दिल्ली से आया दल सर्वे शुरू करेगा।





इंदौर ट्रैफिक का बनेगा मास्टर प्लान
इंदौर ट्रैफिक










बैठक में नगर निगम, इंदौर विकास प्राधिकरण, पीडब्लूडी सहित अन्य विभागों के अफसरों के साथ ट्रांसपोर्ट कंपनी के अफसरों ने चर्चा की और पूर्व में हो चुके ट्रैफिक सर्वे, सड़कों के नक्शे व अन्य दस्तावेज दल ने मांगे हैं। दो माह तक अलग-अलग मार्गों पर ट्रैफिक लोड का सर्वे होगा। इसके लिए शहर के प्रमुख चौराहों, मार्गों को चुना गया है। सर्वे में खासकर बीआरटीएस और राजीव गांधी चौराहा से महू तक के ट्रैफिक का भी विश्लेषण होगा, क्योंकि भविष्य में इस रूट पर भी मेट्रो का संचालन होना है। सांसद शंकर लालवानी के अनुसार अगले 25 सालों में शहर के यातायात की क्या जरुरतें होगी, इसका बेस प्लान तैयार होगा। भविष्य में इस प्लान को अपडेट किया जाएगा।










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सर्वे से तय होगा लोक परिवहन माडल

– केंद्र सरकार ने इस प्लान को इसलिए अनिवार्य किया है, ताकि जब भविष्य में मेट्रो का संचालन हो तो मेट्रो के लायक उस रूट पर पर्याप्त यात्री रहेंगे या नहीं, इसका आंकलन अभी से हो सके।











सघन क्षेत्रों में केबल कार, लाइट मेट्रो के स्वरुप को भी इस सर्वे के आधार पर तय किया जाएगा।

- बीआरटीएस रुट पर त्रिस्तरीय मार्ग की कार्ययोजना बनाई गई है, जिसमें सड़क पर मिक्स ट्रैफिक, पहली मंजिल पर सिटी बस और दूसरी मंजिल पर मेट्रो का ट्रैक बनना है, लेकिन लोक परिवहन के दोनो विकल्प यहां व्यवहारिक रहेंगे या नहीं, यह दो माह बाद तैयार होने वाली रिपोर्ट पर निर्भर रहेगी।

- इस सर्वे के बाद तैयार रिपोर्ट डेढ़ वर्ष में तैयार होने वाले मास्टर प्लान के लिए भी उपयोगी साबित होगी।










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यह है शहर के ट्रैफिक की चुनौतियां

शहर में 17 लाख से ज्यादा वाहन आरटीओ में पंजीबद्ध है, लेकिन वाहनों की पार्किंग के लिए प्रमुख मार्गों पर इंतजाम नहीं है। भवनों में पार्किंग के तय जगह पर दूसरा भूपयोग हो रहा है।

- यातायात नियमों के प्रति शहरवासियों में जागरुकता की कमी। हेलमेट अनिवार्य है, लेकिन ज्यादतर वाहन चालक नहीं पहनते।

- प्रमुख चौराहों पर ट्रैफिक इंजीनियर का अभाव है। इस कारण वहां हादसे होते हैं।

- वाहनों की गति पर नियंत्रण नहीं। उपनगरीय बसें यात्रियों को पहले बैठाने के चक्कर में मार्गों पर रेस लगाती है।








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