मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव नहीं होंगे , कैंडिडेंट्स को जमानत राशि वापस होगी : राज्य निर्वाचन आयोग

मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव नहीं होंगे । चुनाव को निरस्त करने का फैसला राज्य निर्वाचन आयोग ने लिया है । सचिव बीएस जामोद ने कहा , कानूनी राय के बाद राज्य निर्वाचन आयुक्त ने पंचायत चुनाव की पूर प्रक्रिया को ही निरस्त कर दिया है । जिन कैंडिडेट ने नामांकन के साथ जमानत राशि जमा की है , उसे वापस किया जाएगा । बैठक में आयोग के आयुक्त बसंत प्रताप सिंह , प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास उमाकांत उमराव , सचिव राज्य निर्वाचन आयोग बीएस जामोद सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे ।

बता दें कि आयोग में सोमवार को तीन बार बैठकें हुई थीं । इस दौरान आयोग के अधिवक्ता सिद्धार्थ सेठ का लीगल ओपिनियन अफसरों को मिला था , लेकिन दो अन्य वकीलों की तरफ से लीगल ओपिनियन नहीं मिल पाया था । इसकी वजह से मंगलवार तक के लिए फैसला टाल दिया गया था ।

आयोग ने लीगल एक्सपर्ट से ली सलाह
आयोग ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के दो सीनियर एडवोकेट से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पंचायत चुनाव पर ओपिनियन ली है । आयोग को फैसला लेने में इतना वक्त इसलिए लग रहा है , क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने 17 दिसंबर को ओबीसी के लिए रिजर्व सीटों को सामान्य घोषित कर चुनाव कराने के आदेश दिया था ।
इस बीच सरकार के पंचायत राज संशोधन अध्यादेश वापस लेकर संकेत दे दिया था कि अब पंचायत चुनाव होना संभव नहीं है । गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा कहा था कि पंचायत चुनाव टलेंगे । उन्होंने कहा- मैं समझता हूं कि चुनाव स्थगित हो जाना चाहिए ।
केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में बनेगी पक्षकार
पंचायत चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग ( ओबीसी ) के आरक्षण के मामले में अब केंद्र सरकार ने दखल दे दिया है । केंद्र सरकार ने पक्षकार बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को याचिका दायर कर दी थी । इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में 3 जनवरी को सुनवाई होगी । राज्य निर्वाचन आयोग सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित ( पंच , सरपंच , जनपद और जिला पंचायत सदस्य ) पदों को छोड़कर चुनाव करा रहा था । चूंकि जिस अध्यादेश के आधार पर चुनाव कार्यक्रम घोषित हुआ था , सरकार ने उसे ही वापस ले लिया है , इसलिए चुनाव प्रक्रिया स्थगित करना पड़ेगा ।
मुख्यमंत्री ने सॉलिसिटर जनरल से की चर्चा
पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाई गई रोक को बहाल कराने के लिए शिवराज सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है । सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की जा चुकी है । इस पर तीन जनवरी को सुनवाई प्रस्तावित है । इसको लेकर मुख्यमंत्री ने रविवार को दिल्ली में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सहित कानून विशेषज्ञों के साथ बैठक की ।
सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत करने होंगे आंकड़े
आरक्षण की तय लिमिट 50 % से ज्यादा आरक्षण के लिए सरकार को कोर्ट के समक्ष आंकड़े प्रस्तुत करने होंगे । इसके मद्देनजर सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग विभाग के माध्यम से ओबीसी मतदाताओं की गिनती कराने का काम प्रारंभ किया है । सभी कलेक्टरों को निर्देश दिए गए हैं कि 7 जनवरी तक यह प्रक्रिया पूरी कर ली जाए । पंचायतवार और वार्डवार जानकारी शासन को भेजी जाए ।